(एक)
भागते बच्चे
हवा से होड़ लेके
बदहवास।
(दो)
रार ठानूंगा
जाऊंगा शिखर पे
मैं न मानूंगा ।
(तीन)
उम्मीद रख
समर को जीतके
आना है तुम्हे।
(चार)
पीठ पे बस्ता
बोझ से दबा बच्चा
कैसे पढ़ेगा ?
(पांच)
पढ़ेगी बेटी
दुनिया जहान में
बढ़ेगी बेटी।
(छ:)
आत्मबल से
उन्नत शिखर पे
चढ़ेगी बेटी।
(सात)
जहां जाएगी
प्रकृति मुस्कायगी
हंसेगी बेटी।
(आठ)
बेटों के संग
आसमान से ऊंचा
उड़ेगी बेटी।
(नौ)
धूल उड़ाती
स्वर्ग बनाती हुई
चलेगी बेटी।
(दस)
बच्चे तो बच्चे
बड़े करे धमाल
बाप रे बाप
वाह सब बेहतरीन ,नमन
ReplyDeleteबहुत खूब !!!
ReplyDeleteसारे हाइकु बहुत बढ़िया ।
ReplyDeleteभावपूर्ण हाइकु.
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