प्रकृति के विविध रूपों की सचित्र प्रस्तुति प्रकृति के विविध रूपों की सचित्र प्रस्तुति

भारत ऋतुओं का देश है, जहां प्रकृति का वैविध्यपूर्ण सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यही कारण है, कि फूलों का देश जापान को छोड़कर आने की दु: खद स्मृति हाइकु काव्य को कभी अक्रांत नहीं कर पाई। वह इस देश को भी  अपने घर की मानिंद महसूस करती रही। यही कारण है कि हिन्दी साहित्य जगत के समस्त हाइकु प्रेमी और हाइकु सेव…

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11May2020

बच्चे तो बच्चे, बाप रे बाप : रवीन्द्र प्रभात के हाइकुबच्चे तो बच्चे, बाप रे बाप : रवीन्द्र प्रभात के हाइकु

(एक) भागते बच्चे हवा से होड़ लेके बदहवास। (दो) रार ठानूंगा जाऊंगा शिखर पे मैं न मानूंगा । (तीन) उम्मीद रख समर को जीतके आना है तुम्हे। (चार) पीठ पे बस्ता बोझ से दबा बच्चा कैसे पढ़ेगा ? (पांच) पढ़ेगी बेटी दुनिया जहान में बढ़ेगी बेटी। (छ:) आत्मबल से उन्नत शिखर पे चढ़ेगी बेटी। (सात) जहां जाएगी प्रकृति …

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29Apr2020
 
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