बुद्धिजीवी होना भी एक चस्का : डा० अरविन्द मिश्र आज डा अरविन्द मिश्र का यह आलेख राष्ट्रीय सहारा के दिनान्क२६.०४.२०१० को प्रकाशित हुआ है ...सूचनार्थ यहाँ प्रस्तुत है- पुन: परिकल्पना पर वापस जाएँ
Congratulations ! Arvind ji.
ReplyDeleteतारीफें जितनी की जाए कम है ...इस आयोजन से निश्चय ही ब्लॉग जगत धन्य हो गया है ....इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिल रही है की टिपण्णी करना हम भूल जा रहे हैं ....आनंद आ गया इस उत्सव में शामिल होकर !
ReplyDeleteप्रयास सराहनीय है !
ReplyDeleteडॉ मिश्र जी की अनुपम उपलब्धि ..... हमारी परिकल्पना को मुखर कर गई
ReplyDeleteअरविन्द जी को बधाई !
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