गुरु (संस्कृत शब्द, अर्थात भारी या महत्वपूर्ण, इसलिए आदरणीय या श्रद्धेय ), हिन्दू धर्म में एक व्यक्तिगत अध्यात्मिक शिक्षक या निर्देशक, जिसने अध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्राप्त कर ली हो । कम से कम उपनिषदों के समय से भारत में धार्मिक शिक्षा में गुरुकुल पद्धति के महत्व पर जोर दिया जाता रहा है । प्राचीन भारत की शैक्षिक प्रणाली में वेदों का ज्ञान व्यक्तिगत रूप से गुरुओं द्वारा मौखिक शिक्षा के माध्यम से शिष्यों को दिया जाता था । पारंपरिक रूप से पुरुष शिष्य गुरुओं के आश्रम में रहते थे और भक्ति तथा आज्ञाकारिता से उनकी सेवा करते थे ।
बाद में भक्ति आन्दोलन के उत्थान के साथ , जो ईष्ट देवता के प्रति भक्ति पर जोर देता है , गुरु और भी महत्वपूर्ण चरित्र बन गए, किसी संप्रदाय के प्रमुख या संस्थापक के रूप में वह श्रद्धा के पात्र थे और उन्हें अध्यात्मिक सत्य का जीवित मूर्तिमान रूप माना जाता था । इसप्रकार उन्हें देवता के जैसा सम्मान प्राप्त था । गुरु के प्रति सेवा भाव और आज्ञाकारिता की परंपरा अब भी विद्यमान है ।
मूलतः गुरु वह है जो ज्ञान दे । संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है । हिन्दू तथा सिक्ख धर्म में गुरु का अर्थ धार्मिक नेताओं से भी लगाया जाता है ।
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12 comments:

  1. बहुत सटीक और सार्थक कहा ........
    धन्यवाद !

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  2. बेहतरीन और समसामयिक आलेख के लिए ढेरो बधाईयाँ !

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  3. सार्थक प्रस्‍तुति, बधाईयाँ !

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  4. .
    बहुत सही बात लिखी आपने। मुझे तो हर कहीं जहाँ सीखने को मिलता है, अपना गुरु ही लगता है। जीवन का वृहत सत्य तो छोटे-छोटे बच्चों से सीखने को मिलता है।

    सुन्दर लेख,

    आभार।
    .

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  5. बहुत सार्थक सन्देश है इस रचना मे। बहुत दिन बाद यहाँ आने के लिये क्षमा चाहती हूँ
    ब्लागवाणी के जाने से मुझे तो बहुत क्षति हुया है। कई बार इतने अच्छे ब्लाग भी छूट जाते हैं। शुभकामनायें

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  6. अच्छी जान अनकारी मिली। साधुवाद!
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  7. शब्द स्वयं में खूंटे से बंधी नाव जैसे हैं। उनका अर्थ समझाने के लिए गुरू की ज़रूरत होती है। इसी अर्थ में,मीरा ने भी कहा,'सत की नाव खेवटिया सतगुरू'। अर्थात्,सत्य पर अडिग रहना मात्र काफी नहीं है,सद्गुरू भी चाहिए जो उस नाव को इस भवसागर से खेकर उसपार ले जाए। यह यों ही नहीं है कि गुरू को ही ब्रह्मा,विष्णु,महेश-सब माना गया।

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  8. बेहतरीन आलेख के लिए ढेरो बधाईयाँ !

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  9. हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
    मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.

    होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  11. बहुत सटीक और सार्थक रचना|धन्यवाद|

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  12. ग्यानवर्द्धक आलेख। शुभकामनायें।

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